हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो में तकनीकी खराबी या मनमर्जी, SC के आदेश की हो रही अवहेलना?
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सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज:
हरियाणा प्रदेश में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए सरकार ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो का नाम बदलकर एंटी करप्शन
ब्यूरो रखा गया था। लेकिन ब्यूरो में तैनात बडबोले अधिकारी परदेसी भ्रष्टाचार मिटाने के लिए दावे तो आए दिन करते हैं लेकिन उनके दावे खोखले साबित हो रहे हैं,वहीं ब्यूरो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी जमकर अवहेलना कर रहे हैं। इसको तकनीकी तकनीकी खराबी कहे या जानबूझकर अधिकारियों की मनमर्जी। कई कई महीनों तक नहीं होती मामला दर्ज करने की फिर साईट अपलोड।
प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो बनाईं हुई है। जिसकी प्रदेश में कई अलग-अलग रेंज बनाई हुई है, जिसमें एक रेंज में चार-पांच जिले शामिल है। वहीं एक रेंज एंटी करप्शन ब्यूरो का कार्यालय गुड़गांव में बना हुआ है। जिसके अंतर्गत जिला गुरुग्राम, फरीदाबाद,पलवल, नूंह मेवात, महेंद्रगढ़, नारनौल के सरकारी विभागों पर ब्यूरो नजर रखता है। हालांकि ब्यूरो कई मामलों में तत्परता से कार्रवाई करते हुए रिश्वत लेते हुए सरकारी कर्मचारियों को पड़कर जेल की हवा भी खिला चुके हैं, लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि एंटी करप्शन ब्यूरो के ही कर्मचारी किसी को फंसाने के लिए अपनी मनमर्जी से कहानी बनकर सरकारी कर्मचारियों को जानबूझकर अपनी वाहवाही लूटने के लिए फर्जी मामलों में फंसा देते हैं। गुरुग्राम में ऐसे कई मामले सामने आ चुके जिसमें एंटी करप्शन ब्यूरो के लापरवाह अधिकारियों ने उच्च अधिकारी का नाम भ्रष्टाचार में लिप्त होने की वजह से उन पर कार्रवाई न करके उनके अधीनस्थ छोटे कर्मचारियों को फंसा कर अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रहे है। वहीं उनकी एफआईआर भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी कई कई महीनों तक साइट पर अपलोड नहीं कर रहे हैं। इससे सरकारी विभाग सहित बुद्धिजीवियों में चर्चाएं है, कि एंटी करप्शन ब्यूरो में स्वयं ही काफी भ्रष्टाचार फैला हुआ है। वे केवल छोटे सरकारी कर्मचारियों पर भी हाथ डालते हैं लेकिन उच्च अधिकारियों पर हाथ डालने में कतराते हैं। गुरुग्राम बार एसोसिएशन के एक वकील ने बताया कि एंटी करप्शन ब्यूरो की साइट पर एफआईआर 25 दिनांक 25 जुलाई 24 के बाद आज तक कोई भी फिर अपलोड नहीं की गई। जबकि सुप्रीम कोर्ट के भी आदेश है कि 24 घंटे के अंदर एफआईआर अपलोड हो जानी चाहिए। अधिवक्ताओं का कहना है कि यह एंटी करप्शन ब्यूरो की लापरवाही कहे, तकनीकी खराबी कहे या उनकी जानबूझकर कोई अन्य वजह हो सकता है। वहीं बताया गया है कि एंटी करप्शन ब्यूरो गुरुग्राम ने एफआईआर नंबर 30 तक रजिस्टर्ड की हुई है। इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि एंटी करप्शन ब्यूरो में भी जरूर कुछ गोलमाल मामला चल रहा है। वहीं कुछ अधिवक्ताओं का कहना था कि कुछ संगीन महिलाओं से संबंधित ल देशद्रोह के मामले को छोड़कर सभी मामलों की फिर सरकारी साइट पर उपलब्ध होनी चाहिए।
इस मामले पर ब्यूरो के कई अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई संतुष्टि पूर्वक जवाब नहीं दिया। यहां तक की एक डीएसपी स्तर के अधिकारी ने तो फोन ही बीच में काट दिया।